Uttarakhand

उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, 2 लाख का जुर्माना भी लगा!

उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्याशियों के डबल वोटर लिस्ट मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देती आयोग की याचिका खारिज कर दी है. साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

दरअसल, 26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें नैनीताल हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी. जिसमें कई मतदाता सूचियों में नाम वाले उम्मीदवारों (डबल वोटर लिस्ट) को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति देने वाले स्पष्टीकरण परिपत्र (सर्कुलर) पर रोक लगाई गई थी.

राज्य निर्वाचन आयोग पर लगा 2 लाख रुपए का जुर्माना: मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ में हुई. पीठ ने कहा कि वो इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है. इतना ही नहीं पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग उत्तराखंड पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. बता दें कि इसी साल 11 जुलाई 2025 को नैनीताल हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर राज्य निर्वाचन आयोग के उस परिपत्र (सर्कुलर) पर रोक लगा दी थी.

जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग ने दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले व्यक्ति को मतदान करने और चुनाव लड़ने की अनुमति दी थी. वहीं, हाईकोर्ट की ओर से स्पष्टीकरण परिपत्र पर रोक के आदेश को राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अब याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील से पूछा कि ‘आप वैधानिक प्रावधान के विपरीत फैसला कैसे दे सकते हैं?

जुलाई में नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी स्पष्टीकरण उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 9(6) और 9(7) के स्पष्ट प्रावधानों के खिलाफ है, जो किसी व्यक्ति को एक से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्रों या मतदाता सूचियों में पंजीकृत होने से रोकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्टीकरण प्रथम दृष्टया ऊपर उल्लेखित वैधानिक प्रावधानों के विपरीत प्रतीत होता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून स्पष्ट रूप से एक से ज्यादा प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों या एक से अधिक मतदाता सूची में मतदाता के पंजीकरण को प्रतिबंधित करता है और यह एक वैधानिक बाधा है.

गौर हो कि इसी साल जुलाई महीने में उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे. जो कई वजहों से सुर्खियों में रहा था. खासकर दो जगह वोटर लिस्ट वाले प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने, प्रत्याशियों के नामांकन रद्द करने, आरक्षण प्रस्ताव को लेकर निर्वाचन पर हाईकोर्ट की रोक, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया में वबाल से लेकर फायर की आदि की वजह से पंचायत चुनाव चर्चाओं में रहा.

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